What is tally ?? || टैली क्या है ?
Tally एक अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर हैं, जो Tally Solutions Pvt. Ltd एक बहुराष्ट्रीय भारतीय कम्पनी द्वारा निर्मित कंप्यूटर सॉफ्टवेयर हैं सामान्य बोलचाल में tally को अकाउंटिंग से ही जोड़कर देखा जाता हैं, अपने व्यापार में किसी कम्पनी के वितीय लेन-देन (इनकम/खर्चे) को लिखकर रखना ही एकाउंटिंग हैं। पहले के जमाने में इसे बहियों में हाथ से लिखकर रखा जाता हैं, समय के बदलाव के साथ ही, कम्पनी के अकाउंट को मेंटेन करने के लिए आज कंप्यूटर का उपयोग किया जाता हैं।
आजकल हर बड़ी Company का अपना software होता है जिसमें वे अपना Accounting work करते हैं। Tally small और medium आकार की व्यावसायिक company द्वारा उपयोग किया जाने वाला सॉफ्टवेयर है। Tally भारत में इस्तेमाल होने वाले सबसे लोकप्रिय Accounting सॉफ्टवेयर में से एक है। टैली को “एक Accounting सॉफ्टवेयर के रूप में परिभाषित किया गया है जो सभी व्यवसाय और व्यक्तिगत संचालन या लेनदेन रिकॉर्ड करता है। Tally एक बहु-कार्यात्मक सॉफ्टवेयर है जो Inventory management, Accounting, Payroll preparation, और cost center management, multiple currency functions, Billing, Banking, Taxation, Reporting, Ratio Analysis, आपकी पसंदीदा GST Calculations और कई संचालन करता है।
Accounting kya hai ?
Accounting ki shabdavali ( dictionary )
Busineess(व्यवसाय) ऐसा कोई कार्य जो लाभ प्राप्त करने के लिए किया गया हो व्यवसाय कहलाता है
जैसे बैंक,बीमा आदि
Trade:-(व्यापर) -कोई भी कार्य जिसमे वस्तुओ का क्रय -विक्रय लाभ कमाने के उद्देश्य से किया जाता है व्यापर कहलाता है
Profession:-(पेशा):- कोई भी कार्य जिसमे पूर्ब प्रशिक्षण की आबश्यकता होती है पेशा कहलाता है
जैसे - वकील ,अध्यापक आदि
Owner (मालिक) :- वह व्यकित या व्यक्तियों का समूह,जो व्यापार में आवश्यक पॅूजी लगाते हैं व्यापार संचालन करते है व्यापार का जाखिम उठाते है तथा लाभ व हानि के अधिकारी होते है वह व्यापार के स्वामी कहलाते है
Capital (पूॅजी) :- वह धन राशि जो व्यापारी माल,रोकड़ अथवा सम्पत्ति के रूप मे लगाकर प्रारम्भ करता है पूॅजी कहलाती है
Drawing (आहरण या निजि व्यय) :- व्यापारी अपने निजि कार्य के लिए रोकड़ या माल फर्म से निकालता है आहरण कहलाता है
Goods (माल) :- जिस वस्तु से व्यापारी व्यापार प्रारम्भ करता है वह उसका माल कहलाता है
Purchases(क्रय) :- जो माल व्यापारी द्वारा खरीदा जाता है क्रय कहलाता है
Purchases return (क्रय वापसी) :- खरीदे हुए माल मे से जो माल विक्रेता को वापस कर दिया जाता है वह क्रय वापसी कहलाती है
Sales (विक्रय) :- जो माल वेचा जाता है विक्रय कहते है
Sales return-(विक्रय वापसी) :- जब विके हुए माल मे से कुछ माल वापस आ जाता है उसे विक्रय वापसी कहते है
Proprietor(व्यापार का स्वामी) :- वह व्यकित जो व्यापार में पूॅजी लगाता है तथा व्यापार का संचालन करता है व्यापार का स्वामी कहलाता है
Liabilities (दायित्व) :- वह सव ऋण जो अन्य व्यक्तियों या अपने स्वामी को चुकाने होते है दायित्व कहलाते है
ये दो प्रकार के होते है
1.Long term/fixed liabilities (स्थायी दायित्व) :- ये वह दायित्व है एक साल के बाद या व्यापार समाप्त करने पर चुकाना होता है
2.Short term/current liabilities (चालू दायित्व) :- ये वह दायित्व है जो एक साल या कम समय मे चुकानी होती है
Stock(रहतिया) :- यह किसी व्यवसाय के अतर्गत उपलब्ध माल, स्पेयर्स और अन्य आइटम्स जैसी चीजों का पैमाना है। इसे क्लोजिंग स्टॉक भी कहा जाता है। किसी व्यापार के अतंर्गत स्टॉक आॅन हैड माल की वह मात्रा होती है जिसे बैलेंस शीट तैयार किए जाने की दिनाकं तक बेचा नहीं गया होता है। इसे क्लोजिंग स्टॉक (एंडिग इन्वेटरी) भी कहा जाता है। किसी विनिमार्ण कम्पनी के अंतर्गत क्लोजिंग स्टॉक में यह कच्चा माल, आधा-तैयार माल और पूरी तरह से तैयार माल शामिल किया जाता है जो क्लोजिंग डेट पर हाथ में उपलब्ध रहता है। इसी प्रकार से, अकाउंटिंग ईयर (लेखा वर्ष) के प्रारंभ मे स्टॉक की मात्रा को ओपनिंग स्टॉक (प्रारंभिक इन्वेटरी) कहा जाता है।
Creditor (लेनदार) वह व्यक्ति या संस्था जो किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को उधार माल या पैंसा उधार देती हैं ऋणदाता या लेनदार कहलाती है
Debtor (देनदार) वह व्यक्ति या संस्था जो किसी अन्य व्यक्ति या संस्था से उधार माल या पैंसा उधार लेता है ऋणी या देनदार कहलाता है
Assests(सम्पत्ति):- व्यापार मे समस्त वस्तुएॅ जो संचालन मे सहायक होती है सम्पत्ति कहलाती है
ये दो प्रकार की होती है
Fixed assets (अचल या स्थायी सम्पत्ति):- वे वस्तुए जो व्यापार को चलाने के लिए स्थायी रूप से खरीदी जाती है स्थायी सम्पत्ति कहलाती है और जिन्हे वेचने के लिए नही खरीदा जाता है जैसे भवन,मोटरगाड़ी, फर्नीचर आदि
Current assets(चल या अस्थायी सम्पत्ति):- वह सम्पत्ति जो स्थायी रूप से व्यापार मे नही रहती है जैसे रोकड़,बैंक मे जमा पैसा, स्टोक आदि
Expenses (व्यय):- माल को खरीदने तथा बेचने मे जो खर्चे होते है वह व्यय कहलाते है
ये दो प्रकार के होते है
Direct expenses (प्रत्यक्ष व्यय):- ये वे खर्चे होते है जिन्हे व्यापारी माल खरीदते वक्त करता है या माल के उत्पादन मे करता है अर्थात कच्चे माल पर होने वाला खर्चा प्रत्यक्ष व्यय कहलाता है
Indirect expenses (अप्रत्यक्ष व्यय):- ये वह खर्चे होते है जो वस्तु के क्रय या वस्तु के निर्माण से न होकर ,वस्तु की बिक्री या कार्यलय व्यय से होती है
Revenue(राजस्व):- माल को वेचने पर जो प्राप्ती होती है वह राजस्व कहलाता है
Income(आय):- किसी भी माल को वेचने पर उससे जो राजस्व प्राप्त होता है उसमे से जो खर्चे को घटाने के वाद जो राशि वचती है उसे आय कहते है
ये दो प्रकार की होती है
Direct income (प्रत्यक्ष आय):- यह वह आय होती है जो मुख्य व्यवसाय से प्राप्त होती है
Indirect income (अप्रत्यक्ष आय):- यह वह आय होती है जो मुख्य व्यवसाय को छोड़ कर होती है जैसे किराया,व्याज आदि
Discount (बट्टा या छूट):- व्यापारी द्वारा दिये जाने वाली रियायत छूट या बट्टा कहलाती है
ये दो प्रकार की होती है
Trade discount (व्यापारिक बट्टा) :- व्यापारी माल वेचते समय ग्राहक के माल मे जो छूट देता है वह व्यापारिक बट्टा कहलाता है या बिल मे कुछ पैसा कम कर देता है
Cash discount (नगद बट्टा):- जब किसी ग्राहक को कोई माल उधार वेचा जाता है और उसे निश्चित अवधि मे पैसा देना वताया जाता है अगर वह अविध से पहले पैसा जमाकर देता है तो उसे जो छूट दी जाती है वह कैस डिसकोन्ट कहलाता है
Bad debts (डूवत ऋण):- जव उधार की रकम वापस नही मिलती है उसे डूवत ऋण कहते है
Transaction(लेनदेन):- व्यापार मे जिन वस्तुओ का क्रय विक्रय होता है उन्हे लेन देन कहते है
Voucher(प्रमाणक):- व्यापार सम्वन्धी सभी व्यवहारो के लेनदेन के प्रमाणो के लिए जो डाकोमेन्ट लिए तथा दिये जाते है प्रमाणक कहलाते है
Ledger (लेजर):- लेजर एक बुक होता है जिसमें पर्सनल, रियल या नॉमिनल के सभी अकाउन्ट होते है, जिनकी एंन्ट्री जर्नल या सहायक पुस्तीका में होती है|
Types of accounts
1. Personal Accounts (व्यक्तिगत खाते )
सभी व्यक्ति, सोसायटी, ट्रस्ट, बैंक और कंपनियों के खाते पर्सनल अकाउन्ट कहलाते हैं।
उदाहरण :– Trupti A/c, Krishna Sales A/c, Anil Traders A/c, State bank of India A/c etc.
2. Real Accounts (वस्तुगत खाते )
Real Account में सभी Assets और Goods अकाउन्ट शामिल है।
उदाहरण :– Cash A/c, Furniture A/c, Building A/c,Computer A/c etc.
3.Nominal Accounts (नाममात्र के खाते )
बिजनेस से संबंधित सभी आय और खर्च नॉमिनल अकाउन्ट के अंतर्गत आते है।
उदाहरण : – Salary A/c, Rent A/c, Commission A/c, Advertisement A/c, Light Bill A/c etc.
Accounts के नियम
Transaction करते समय, हमें डेबिट या क्रेडिट साइड का फैसला करना होता है। इसके निम्नलिखित नियम हैं –
Personal Accounts (व्यक्तिगत खाते )
पाने वाले को डेबिट
देने वाले को क्रेडिट
Receiver Dr To Giver Cr |
Real Accounts(वस्तुगत खाते )
जो वस्तु व्यापार में आए उसे डेबिट करो
जो वस्तु व्यापार से जाए उसे क्रेडिट करो
Comes Dr To Goesout Cr |
Nominal Accounts(नाममात्र के खाते )
समस्त प्रकार के खर्चे और हानियों को डेबिट करो
समस्त प्रकार के आय और लाभों को क्रेडिट करो
Expenses & Lost Dr To Income Cr |
Features of tally
* टैली का उपयोग करना अत्यंत सरल है क्योंकि इसे त्वरित्त (तुरंत) डेटा एंट्री और पलक झपकने की गति से अकाउंटिंग संबंधी जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाया गया है।
* यह user द्वारा Selected language में अकाउंटिंग रिकार्डस को रिकॉर्ड करने, उन्हें देखने और उत्पन्न करने में सक्षम बनाता है। यह टैली के महत्वपूर्ण फीचर्स में से एक है।
* यह 99999 कंपनीज का रिकार्ड एक साथ सुरक्षित रखने की अनुमति प्रदान करता है।
* टैली के प्रमुख फीचर्स में से एक यह है कि यह उन कंपनीज के लिये रिपोर्ट्स क्रिएट करने में सक्षम बनाता है जहाँ पर एक से अधिकलोकेशन्स के अकाउट्स का प्रबंधन किया जाता है।
* टैली द्वारा एक से अधिक विस्तृत डेटा को समतुल्य और अपडेट किया जाता है।
* टैली द्वारा कलेक्शन रिमाइंडर्स दिया जाना सुनिश्चित करते हुये बेहतर नकदी प्रवाह में सहायता की जाती है जो ब्याज की बचत में भी सहायक होता है।
* टैली भुगतान के मामले में खराब डेबिटर्स और बकाएदारों की पहचान करने में सक्षम बनाता है।
* टैली हमें कंपनी की उस इनवेटरी के प्रबंधन में सहायता प्रदान करता है जो प्रोडक्ट अनुसार इनवेटरी लेवल ज्ञात करने में सक्षम होती है तथा यूजर द्वारा तय स्तर पर विभिन्न प्रोडक्ट्स के लिये रीआर्डर लेवल ज्ञात करने में भी सक्षम होती है।
* टैली के फीचर्स में प्रोडक्ट अनुसार तथा इनवॉइस अनुसार लाभदेयता विश्लेषण (cost benefit analysis) तैयार करना भी शामिल है।
* टैली के उपयोगी लाभों में से एक यह है कि यह हमें एकाधिक अवधियों के लिये परफॉर्मेंस लेवल्स को समझने तथा विश्लेषित करने में सक्षम बनाता है। यह हमें कस्टमर बाइंग पैटर्न समझने में सक्षम बनाता है।
* यह स्टॉक की ट्रेकिंग (निगरानी) में सक्षम है ।
* यह हमें एक से अधिक वेयरहाउस लोकेशन पर निगरानी करने में सक्षम बनाता है जिससे हमें कंडीशन के आधार पर निर्णय लेने में सुविधा होती है ।
* टैली विभिन्न अकाउंटिंग अनुपातों की गणना करने में सक्षम है जो कार्य-निष्पादन की निगरानी करने में सहायता करते है और शीर्घ एवं सही निर्णय लेने में सक्षम बनाते है।
* यह हमें लागत और लाभ केद्र का विश्लेषण (cost center analysis) करने में सक्षम बनाता है। यह टैली के सबसे उपयागी फीचर्स मे से एक है ।
Remote Access:
टैली ERP9 कहीं से भी रिमोट के द्वारा डेटा एक्सेस करने की क्षमता प्रदान करता है| इस फचर से युजर रिमोट युजर आईडी बनाता है, अधिकृत करता है और रिमोट एक्सेस करने कि अनूमती देता है|
.NET (to be read as Tally.NET)
Tally.NET डिफ़ॉल्ट रूप से अनुकूल माहौल बनाता है, जो इंटरनेट पर आधारीत विभिन्न् सेवाओं की सुविधा के लिए पीछे से काम करता है| हर एक टैली ERP 9 इस .NET की सर्विस के लिए इनेबल होता है| टैली.NET निम्नलिखित सेवाओं/क्षमता को प्रदान करता है –
Tally.NET के फीचर्स :
1.रिमोट युजर बनाना और उन्हे मेंटेन रखना
2.रिमोट एक्सेस
3.रिमोट सेंटर
4.सपोर्ट सेंटर
5.Tally.NET के माध्यम से डेटा का सिंक्रोनाइजेशन प्रोडक्ट अपडेट और अपग्रेड
Simplified Installation process
टैली ERP 9 एक नए सुधारीत इन्स्टॉलर के साथ आता है, जो युजर को आवश्यकताओं के अनुसार एक ही स्क्रीन से अलग अलग सेटींग को कॉन्फीगर करने की अनूमती देता है|
Control Centre
कंट्रोल सेंटर यह नया फीचर टैली ERP 9 में शामिल किया गया है| यह युटीलीटी अलग अलग जहग पर इन्स्टॉल टैली और युजर के बिच इंटरफेस करती है| कंट्रोल सेंटर के मददत से आप –
1.पूर्वनिर्धारित सिक्योरिटी के स्तर के साथ युजर बना सकते है
2.सेंट्रली टॅली ERP 9 को मॅनेज और कॉन्फीगर कर सकते है
3.साइट पर सरेंडर, कन्फर्म या रिजेक्ट कर सकते है
4.अकाउंट से संबंधित जानकारी को बनाए रख सकते है
Enhanced Look & Feel:
Resizing Screens युजर टैली की स्क्रीन या विंडो को अपने हिसाब से रिसाइज कर सकते है| यह रिसाइज के मापदंट जैसे ऊंचाई और चौड़ाई tally.ini फाइल में परिभाषित होती है| इस तरह से स्क्रीन का आकार बदलके युजर विभिन्न् कंपनियों के समान रिपोर्ट की तुलना कर सकता है| Multiple Selection capabilities युजर एक रिपोर्ट में कई लाइनों को एक साथ सिलेक्ट कर सकता हैं और रिपोर्ट की आपश्यक्ता के आधार पर इन्हे डिलीट या हाइड कर सकता है| Information panel इन्फॉर्मेशन पॅनल टॅली ने निचले भाग में होता है|
इसमे पांच ब्लॉक होते हैं
1.Product,
2.Version,
3.Edition,
4.Configuration
5.Calculator
Calculator
डाटा सिंग और रिमोट कनेक्टीवीटी के दौरान यह कनेक्श्न स्टेटस को दर्शाता है| यह कैलक्यूलेटर के रूप में भी काम करता है|
Enhanced Payroll Compliance
टैली ERP 9 अब पेरोल अधिक सरल आणि बिजनेस के सारे अकाउंटींग फंक्शन को अधिक कार्यक्षम बनाये गए है| इसका एडवांस वैधानिक फीचर और प्रोसेस को बेहतर, तेज और सटीक बनाया गया है|
Excise for Manufacturers
टैली ERP 9 उत्पाद शुक्ल से संबंधित व्यापार की आवश्यक्ताओं के लिए एक पर्ण समाधान प्रदान करता है|
Whats is voucher in tally ? [ टैली में Voucher क्या है?
Voucher:- मेन्युअल अकाउटिंग में हम ट्रांजेक्शन्स को जर्नल प्रविष्टियों के माध्यम से रिकॉर्ड करते हैं। जबकि कंप्यूटरीकृत एकाउंटिंग सिस्टम में हम इसे वाउचर एंट्री के माध्यम से करते हैं। सामान्यतया ट्रांजेक्शन को किसी डॉक्युमेंट द्वारा सर्मथन प्रदान किया जाता है| जैसे कि सप्लायर का बिल, सेल्स बिल की कॉपी, चैकबुक की काउंटर फाइल/रिकार्ड स्लिप एंट्री, पे-इन-स्लिप, पे रजिस्टर इत्यादि। प्रत्येक ट्रांजेक्शन के अनुसार हमें वाउचर प्रविष्ट करना चाहिए। वाउचर में जानकारी के विवरण शामिल होते हैं।
एक वाउचर एक दस्तावेज होता है, जो किसी वित्तीय ट्रांजेक्शन का विवरण होता है | मैन्युअल एंट्री में इसे जर्नल एंट्री भी कहते है | वाउचर में सभी बिजनेस ट्रांजेक्शन पूर्ण विवरण के साथ रिकॉर्ड किये जाते है
Accounting Vouchers
अकाउंटिंग वाउचर्स वे प्राथमिक डॉक्युमेंट होते है जिनमें अकाउंटिंग ट्रांजेक्शन के सम्पूर्ण विवरणों को दर्ज किया जाता है
Tally में Accounting Vouchers के प्रकार
Contra (F4):- Contra Voucher का प्रयोग केवल बैंक अकाउंट और कैश ट्रांजेक्शन के लिए होता है | उदाहरण के लिए आपने बैंक में कैश जमा किया या बैंक से कैश निकाला या फिर एक बैंक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पैसा ट्रान्सफर किया तो इनकी एंट्री Contra वाउचर में होगी
Payment voucher (F5) :- कोई भी Entry जिसमे पैसा Cash/Bank से जाता है F5-payment voucher में की जाती है ।
Receipt voucher (F6) :- कोई भी Entry जिसमे पैसा Cash/Bank में आता है कि entry F6-receipt voucher में करते है
Journal voucher (F7) :- यदि हमारी कम्पनी को किसी प्रकार की हानि जैसे- माल में आग लग जाना, माल चोरी हो जाना, नष्ट हो जाना, आदि हो जाती है तो entry F7-journal voucher में करते है
Sales voucher (F8) :- माल उधार खरीदना तथा नगद बेचने की entry F8 Sales voucher में करते है
Credit note voucher (Ctrl+F8) :- इस वाउचर मे हम sales return या जब हम माल वापस न करके उस खराब माल का Payment देने की entry credit note voucher मे करते है
Purchases voucher (F9):- माल नगद या उधार वेचने की entry F9 Purchase voucher मे करते है
Debit note voucher (Ctrl+F9):- जब हम खरीदा हुआ माल वापस करते है, तो इसकी एंट्री Debit Note में होती है | अर्थात Purchase Return की एंट्री Debit Note Voucher में होती है |
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